ठीक उसी तरह जिस तरह से इन कहानियों पर आँख मूँद कर विश्वास कर लेना...अधिक दूर जाने की जरूरत नहीं है, अब से मात्र सौ वर्ष पश्चात लोग इस बात पर यकीन ही नहीं करेंगे कि अहिंसा से भी कोई आन्दोलन खडा किया जा सकता है, और गाँधी नाम का कोई व्यक्ति इस धरती पर चलता-फ़िरता रहा होगा, उस समय भी गाँधी के बारे में कई तरह के मिथक पैदा हो जायेंगे...